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National Youth Day 2022 || स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर जानिए उनके जीवन के साथ जुडी खास बाते !

स्वामी विवेकानंद के शुभ विचारों ने हर एक को जीवन में कुछ करने के लिए उत्साहित किया उनके विचार बहुत मोटीवेट करने वाले है। 

जैसे उनका मशहूर और मेरा पंसदीदा विचार है :

उठो, जागो और तब तक नहीं रुको 

जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए। 


दोस्तों स्वामी विवेकानंद जी जिनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ।  और इस खास दिन को अब 'National Youth Day' के तोर पर मनाया जाए करेगा। स्वामी जी वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे।  उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था।स्वामी विवेकानंद जी  श्री रामकृष्ण परमहंस जी के शिष्ये थे।  लोगो की सेवा को करना वो भगवान की पूजा करने के सामान समझते थे।  आप जी ने 1 मई 1897 को रामकृष्ण मिशन की स्थापना करी। तीस वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानन्द ने शिकागो, अमेरिका के विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया और उसे सार्वभौमिक पहचान दिलवायी। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने एक बार कहा था-"यदि आप भारत को जानना चाहते हैं तो विवेकानन्द को पढ़िये। उनमें आप सब कुछ सकारात्मक ही पायेंगे, नकारात्मक कुछ भी नहीं।"वे केवल सन्त ही नहीं, एक महान देशभक्त, वक्ता, विचारक, लेखक और मानव-प्रेमी भी थे।

 




आइए एक कहानी पढ़ते है स्वामी जी के जीवन से जुड़ी हुई :

एक बार की बात है जब स्वामी विवेकानंद जी यात्रा पर निकले हुए थे। वो दर्शन करते करते काशी पहुंचे और वह विश्व्नाथ नाथ मंदिर के दर्शन किये।  जब वो मंदिर से बाहर  आए तो उन्होंने देखा की  बहुत सारे बंदर इक्ठे होए हुए है। 

उन दिनों स्वामी जी ने एक लंबा अंगरखा और सिर पर एक साफा पहन रखा था।  वह सीखने के
प्रेमी थे , इसलिए वह अपनी जेब में एक किताब और कुछ कागच रखते थे ।  उनकी  जेबें भरी हुई देखकर बंदरों को भ्रम हुआ कि खाने के लिए कुछ है और वे उनका पीछा करने लगे। स्वामी जी डर से तेज तेज चलने लगे।  बंदरो ने भी अपनी गति तेज कर दी। 

अब स्वामी जी और भी डर गए वह तेज तेज भागने लगे।  काफी लोग खड़े उनकी सहायता भी नहीं कर रहे थे।  उनतभी भीड़ में से किसी ने स्वामी जी को पुकारा, "भागो मत।"  ये शब्द स्वामी जी के कानों में पहुँचते ही वे रुक गए।  उन्होंने  महसूस किया कि अगर मुसिबत से भागा जाए तो वो हमारा उतनी तेजी से हो पीछा करती है जितनी तेजी से हम भागते है।अगर उसका सामना साहस से किया जाता है, तो वह अपना चेहरा छिपा लेती है और भाग जाती है।  इतना ही नहीं, वे मुड़े और निडर होकर खड़े हो गए।  उन्हें खड़ा देख वानर भी उठ खड़े हुए।  कुछ देर खड़े रहने के बाद सभी बंदर वापस चले गए ।  वह दिन स्वामी जी के जीवन में एक नया मोड़ लेकर आया।  उसके बाद समाज की बुराइयों को देखकर वे घबराए नहीं और उनका डटकर मुकाबला किया।  यदि हम किसी भी समस्या का सामना उसके सामने खड़े होकर करते हैं तो वह स्वतः ही कम हो जाती है।

आप सभी को स्वामी विवेकानंद जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।

उम्मीद है आपको अच्छी लगी होगी हमारी पोस्ट 

धन्यवाद

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