गाइस हम सभी जानते ही है की सिख धर्म का एक अपना ही खास महतव है। सिख धर्म के गुरुओ ने लोगो को सही मार्ग दर्शन दिखाया और भगवान से मिलने का मार्ग बताया। और इसी के साथ सिखाया जुलम के खिलाफ कैसे बहादरी से लड़ा जाए। जुल्मी सरकारों का जुलम न सहन करते हुए सिख समुदाए के कई लोगो और गुरुओं ने बेझिझक क़ुरबानी दे दी।
सिख धरम के पांचवे गुरु गुरु अर्जन देव जी जिन्होंने मुगलों के ज़ुलम के खिलाफ आवाज़ उठाई और यह ही सिखों के पहले गुरु थे जिनको शहीद किया गया था और इनको 'शहीदों के सरताज भी ' कहा जाता है। और इनके बाद गुरु हर गोबिंद जी सिखों के छठे गुरु बने। और इन्होने ज़ुलम के खिलाफ लड़ने के लिए 'मिरि और पिरि' तलवार की स्थापना करी।
ऐसे ही आते है सिखों के 10वे गुरु जिनके परिवार तक ने भी बड़ी बहादरी से जालिम सरकार मुगलो का मुकाबला किया। गुरु गोबिंद जी के चार बेटे थे जिनको साहिबज़ादे भी कहा जाता है इनके नाम है :
- अजीत सिंह जी (18 वर्ष),
- जुझार सिंह जी (14 वर्ष),
- जोरावर सिंह जी (9 वर्ष)
- और फतेह सिंह जी (7 वर्ष)।
आप को जानकर बहुत दुःख होगा की गुरु जी के दो छोटे साहिबज़ादों को ईंटो की दीवार में चिन कर शहीद किया गया था। और बड़े साहिबज़ादे चमकौर की लड़ाई में शहीद हो गए थे इस लड़ाई में सिर्फ 42 सिख थे जो 10 लाख सेना से लड़ रहे थे। इस लड़ाई में मुग़ल योद्धा वज़ीर खा गुरु जी को जीवत या मृत पकड़ना चाहता था।
चार साहिबज़ादों और गुरु गोबिंद सिंह ही जी की शाहदत को याद करते हुए हर साल 26 दिसंबर को 'वीर बाल दिवस' के रूप में मनाया जाए करेगा। यह ऐलान भारत के प्र्धान मंत्री ने गुरु गोबिंद सिंह जी के पर्काश पूर्व वाले दिन करा।
उम्मीद है की आपको जानकारी अच्छी लगी होगी।
धन्यवाद।
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